भापनि एक लाभकारी संगठन है जिसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के अंतर्गत सीएसआर के क्रिया-कलाप करना है। सीएसआर समिति द्वारा संस्तुति की गई सीएसआर नीति और बोर्ड द्वारा 25.06.2019 को आयोजित उनकी 252वीं बैठक में अनुमोदित को ध्यान में रखते हुए निगम की सीएसआर के क्रिया-कलाप किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त, निगम समय-समय पर भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय (सार्वजनिक उपक्रम विभाग) द्वारा परिचालित केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSE) के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के दिशानिर्देशों के अनुसार सीएसआर के क्रिया-कलापों में शामिल होने के लिए भी बाध्य है।
निगम की सीएसआर नीति
भारतीय पटसन निगम लिमिटेड (भापनि), एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) का स्थापना भारत सरकार द्वारा किया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य सामान्य रूप से उगाए गए जूट के लिए उचित मूल्य देकर जूट कृषकों के हितों की रक्षा करना एवं विशेष रूप से किसी भी संकट में बिक्री से बचाना है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्रिया-कलाप करने के अलावा भापनि बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए वाणिज्यिक खरीद और बिक्री भी करता है। तदनुसार जूट कृषकगण जो सीमित आय के साथ बड़े पैमाने पर छोटे और सीमांत किसान हैं, का कल्याण इस सीएसआर नीति का फोकस और मार्गदर्शक कारक हो सकता है।
प्रबंधन कंपनी अधिनियम 2013 की अनुसूची VII में सूचीबद्ध सीएसआर क्रिया-कलाप पर विगत तीन वर्षों के औसतन शुद्ध लाभ का 2 (दो) प्रतिशत खर्च करने का प्रयास करेगा।
सार्वजनिक उपक्रम विभाग, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय एवं वस्त्र मंत्रालय (प्रशासनिक मंत्रालय) द्वारा जारी किए गए निर्देश, यदि कोई हो, को विशेष वर्ष में सीएसआर क्रिया-कलापों का पहचान और कार्यान्वित करते समय ध्यान में रखा जाएगा।
जूट कृषकों/बुनकरों को उनकी कमाई और आर्थिक स्थितियों में सुधार करने के लिए नए कौशल और प्रौद्योगिकी के साथ सशक्तिकरण एवं जूट कृषकों/बुनकरों के संतानों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए सहायता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जूट कृषकों/बुनकरों के लिए पीने के पानी, स्वच्छता और मां व बाल स्वास्थ्य देखभाल टीकाकरण आदि सहित चल रही स्वास्थ्य देखभाल सुविधा के पूरक के लिए प्रयास किए जाएंगे।
राशि जो वर्ष के अंत में अव्ययित रह सकती है, को अगले वित्तीय वर्ष में ले जाया जाएगा।
वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए सीएसआर बजट जैसाकि कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधान के अनुसार गणना की गई है : 39.10 लाख रु.।
वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान अपनाए गए सीएसआर कार्यक्रम
आउटरीच (स्कूलों में स्वच्छता अभियान)।
स्वच्छ उत्पादन के लिए नवाचार प्रक्रियाएँ (डीपीसी में आधुनिक पर्यावरण हितैषी रेटिंग प्रौद्योगिकी के साथ जूट संयंत्र का रेटिंग)।
डीपीसीज/आरओज में नागरिक इंटरफ़ेस क्षेत्रों की सफाई अभियान में सुधार।
विभिन्न आरओज/डीपीसीज में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन।
असम, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्यों में व्यावसायिक पैमाने पर जूट विविध उत्पाद (JDP) के उत्पादन के लिए बाजार सर्वेक्षण, डिजाइन विकास और वकालत हेतु परियोजनाएं।