15 एन, नेली सेनगुप्ता सरणी, कोलकाता-700087
जूट, गोल्डन रंग वाले फाइबर कपास के बाद उपयोग, वैश्विक खपत, उत्पादन और उपलब्धता के मामले में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक सेल्यूलोसिक फाइबर है। भारत विश्व का सबसे बड़ा कच्चे जूट का उत्पादन करने वाला देश है। भारतीय अर्थव्यवस्था में जूट उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान है। गोल्डन फाइबर जूट मनुष्य और प्रकृति दोनों के लिए लाभदायक है। जूट नकदी फसल होने के नाते यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ-साथ खाद्य अनाज पैकेजिंग के अलावा पर्यावरण हितैषी जूट उत्पादों के निर्माण में लगे बड़े जूट मिलों को लाभ पहुंचाता है। यह हमेशा प्रयास रहा है कि उनके उत्पादों के लिए बेहतर बाजार और अधिक मूल्य मिले। जूट रोजगार भी सृजन करता है और जूट कृषकों, बीज डीलरों, कच्चे जूट के व्यापारियों एवं बिचौलियों और निस्संदेह जूट स्टॉकिस्टों को लाभ पहुंचाते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है। जूट अपने भौतिक और रासायनिक संपदा जैसे उच्च तन्यता ताकत, कम विस्तार, आसानी से सड़ने की क्षमता या बायोडिग्रेडेबिलिटी, बेहतर श्वसन क्षमता के कारण एक बहुमुखी प्राकृतिक फाइबर है एवं इसने प्रति वर्ष जूट की खेती के क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 11 मैट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन करते हुए अत्यधिक पर्यावरणीय लाभ दिया है। गोल्डन फाइबर जूट पर्यावरण प्रदूषण को कम करते हुए हमारे लिए हरियाली, सफाई और टिकाऊ ग्रह बनाने में व्यापक भूमिका अदा करता है।
पर्यावरण हितैषी जूट बैग का उद्भव
बैग हमेशा हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चाहे स्कूल बैग हो, शॉपिंग बैग हो या ऑफिस बैग। हमारे जीवन में इसकी अहम् भूमिका होती है। आधुनिक जीवन की तेज गति के साथ बैग हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए रखते हैं और उपयोगिता एवं फैशन के रूप में सदैव अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। जूट बैग को पॉलीप्रोपाइलीन और पेपर बैग की तुलना में पर्यावरण हितैषी वाले की पसंद होने के नाते फायदा हुआ है। पॉलीप्रोपाइलीन बैग जो प्लास्टिक बैग के रूप में लोकप्रिय है जिसे पेट्रोलियम से बनाया जाता है और यह प्रकृति में गैर-बायोडिग्रेडेबल है। जबकि पेपर के बैग का निर्माण करने के लिए पेड़ों की कटाई कर अधिक मात्रा में लकड़ी की आवश्यकता होती है, बहुमुखी प्राकृतिक गोल्डन फाइबर जूट से बने बैगों में ये समस्याएं नहीं होती हैं और इस प्रकार से ढुलाई के उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग व्यापक रूप से किया जा रहा है।
जूट बैग का बहुमुखी उपयोग
आजकल पर्यावरण हितैषी जूट बैग सभी स्थानों पर आसानी से दिखाई देता है। जूट का उपयोग अन्य प्राकृतिक सामग्रियों – चमड़े और सूती कपड़े के साथ एक प्रमुख सामग्री के रूप में किया गया है जो एक विशेष तरीके से समन्वित होते हैं। टिकाऊ सामग्री का यह संयोजन प्रकृतिक हितैषी बायोडिग्रेडेबल जूट बैग के आधुनिक वर्ग की सौंदर्य अपील और कार्यक्षमता को बढ़ाने के दोहरे उद्देश्य को बचाता है।
शाकाहारी हितैषी जूट बैग जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की दैनंदिन बुनियादी आवश्यकताओं सौंदर्य और शैली की सुविधा को पूरा करने के लिए अनिवार्य रूप से प्रभावी और अधिक लागत वाली है। पुन: प्रयोज्य, पर्यावरण हितैषी और जैविक टिकाऊ सामग्री, जूट कृत्रिमता का प्रतीक है और हमें अगले ले जाती है। अच्छी ब्लीचैबिलिटी, रंग-क्षमता और मुद्रण-क्षमता के साथ-साथ आधुनिक टांगनेवाली क्षमता होने के कारण जूट वस्त्र का उपयोग विभिन्न प्रकार के बैग बनाने के लिए किया जा सकता है जैसे – हाथ बैग, पर्यटक बैग, ढ़ोनेवाला बैग, बोरा, संदेशवाहक बैग, पिट्ठू बैग, झोला, डॉक्टर बैग, लैपटॉप बैग, बकेट बैग, गेंदबाज बैग, कलाई, पाउच, क्लच, समुद्र तट वाला बैग, कंधा वाला बैग, मिनी ऑडियर, शॉपिंग/किराना वाला बैग, ड्रॉस्ट्रिंग बैग, साज-सज्जा बैग, फोल्ड वाला बैग, फोन बैग, कैमरा वाला बैग, बग्वेट बैग, बैरल बैग, बास्केट बैग, फैनी पैक, केली बैग, लंच बैग, स्पोर्ट्स किट बैग, योगा या जिम बैग वगैरह।
भापनि एवं जेडीपी हेतु इसका लक्ष्य
गोल्डन फाइबर जूट रहने के कारण भारत समृद्ध है जो सदैव प्रसिद्ध है लेकिन औपनिवेशिक काल के दौरान इसने धीरे-धीरे भारत की समृद्ध संस्कृति को कम करना प्रारंभ कर दिया। अभी भारत सरकार ने जेडीपीज के निर्माण, उन्नयन और बढ़ोतरी करने के लिए आधुनिक करघे, मशीनरीज और उद्योगों की स्थापना की है। भापनि जो वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत एक सीपीएसई है, का स्थापना वर्ष 1971 में हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय जूट उद्योग को कच्चे जूट फाइबर की सर्वोत्तम ग्रेड प्रदान करना और कृषकों को उनकी खेती के लिए सर्वोत्तम संभव मूल्य भी प्रदान करना है। भापनि ने अपनी स्थापना के बाद से ही भारतीय जूट उद्योग में अपनी भूमिका को सफलतापूर्वक पूरा कर रहा है।
यह ज्ञात है कि किसी भी अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता मुख्य रूप से उपयोग किए गए कच्चे सामग्रियों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। भापनि को इन लंबे वर्षों में कच्चे जूट की अच्छी गुणवत्ता प्रदान करने का अपार अनुभव है। इस प्रकार भापनि के पास भारतीय और वैश्विक ग्राहकों को जेडीपीज के बेहतरीन गुणवत्ता वाली शॉपिंग बैग, ऑफिस स्टेशनरी, होम फर्निशिंग, टेबल रनर्स, मैट, रग्स, असबाब, झूला आदि उपलब्ध कराने की बेहतरीन क्षमता है।
जिस तरह भापनि कृषकों को एमएसपी सुनिश्चित करने में सफल हुआ है, उसी तरह भापनि स्थानीय कारीगरों के उत्पादों के महत्व को पोषित करने और भारतीय संस्कृतिक विरासत एवं परंपरा की सुरक्षा करने के लिए पर्यावरण हितैषी जूट बैग का व्यवसाय करना चाहता है। भापनि, एक सरकारी संगठन होने के नाते भारतीय और वैश्विक दोनों बाजारों में जूट उत्पादों के विकास एवं बढ़ोतरी को सुविधाजनक बनाने में गर्व करता है। भापनि कारीगरों के अनूठे जूट हस्तशिल्प को प्रदर्शित करना चाहता है ताकि उन्हें पारिश्रमिक मूल्य के साथ-साथ समाज में मान्यता भी मिल सके। भारतीय बाजार को दायरे में रखते हुए भारत में तैयार उत्पाद को ग्राहक तक पहुंचने से पहले न्यूनतम 3 से 4 अलग-अलग हाथों से गुजरना पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप अंतिम उत्पाद की कीमत में बढ़ोतरी होती है और कारीगरों को कम राशि मिलता है। इसलिए भापनि बिचौलियों पर अंकुश लगाना और कारीगरों एवं ग्राहकों के बीच एक पुल के रूप में काम करना चाहता है ताकि कारीगरों को आधुनिक डिजाइन विकसित करने और संभावित ग्राहकों को उसे दिखाने के लिए मंच मिल सके जो अब तक उनकी पहुंच से परे है। जूट विविध उत्पादों के लिए पूरी तरह से चल रहे भापनि न केवल हरियाली और क्लीनर ग्रह को विकसित करेगा बल्कि कई कारीगरों, महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों की आजीविका के लिए सहारा का विस्तार भी करेगा।
जूट का उपयोग करें, प्लास्टिक के लिए ना कहें और अपने कार्बन पदचिह्न को कम करें।